भगवान शिव और पार्वती विवाह - Bhagavan shiv aur parvati vivah



भगवान शिव और पार्वती विवाह    


जब सती के खुद को योगाग्रि में भस्म कर लेने का समाचार शिवजी के पास पहुंचा। तब शिवजी ने वीरभद्र को भेजा। उन्होंने वहां जाकर यज्ञ विध्वंस कर डाला और सब देवताओं को यथोचित फल दिया। सती ने मरते समय शिव से यह वर मांगा कि हर जन्म में आप ही मेरे पति हों। इसी कारण उन्होंने हिमाचल के घर जाकर पार्वती का जन्म लिया।

https://www.alldigitalstory.tech/





 जब से पार्वती हिमाचल के घर में जन्म तब से उनके घर में सुख और सम्पतियां छा गई। पार्वती जी के आने से पर्वत शोभायमान हो गया। जब नारद जी ने ये सब समाचार सुने तो वे हिमाचल पहुंचे। वहां पहुंचकर वे हिमाचल से मिले और हंसकर बोले तुम्हारी कन्या गुणों की खान है। यह स्वभाव से ही सुन्दर, सुशील और शांत है। यह कन्या सर्व गुण सम्पन्न है। यह अपने पति को सबसे अधिक प्यारी होगी।



अब इसमें जो दो चार अवगुण है वे भी सुन लो। गुणहीन, मानहीन, माता-पिता विहीन, उदासीन, लापरवाह। इसका पति नंगा, योगी, जटाधारी और सांपों को गले में धारण करने वाला होगा।



यह बात सुनकर पार्वती के माता-पिता चिंतित हो गए। उन्होंने देवर्षि से इसका उपाय पूछा। तब नारद जी बोले जो दोष मैंने बताए मेरे अनुमान से वे सभी शिव में है। अगर शिवजी के साथ विवाह हो जाए तो ये दोष गुण के समान ही हो जाएंगे।



यदि तुम्हारी कन्या तप करे तो शिवजी ही इसकी किस्मत बदल सकते हैं। तब यह सुनकर पार्वतीजी की मां विचलित हो गई। उन्होंने पार्वती के पिता से कहा आप अनुकूल घर में ही अपनी पुत्री का विवाह किजिएगा क्योंकि पार्वती मुझे प्राणों से अधिक प्रिय है। पार्वती को देखकर मैंना का गला भर आया। पार्वती ने अपनी मां से कहा मां मुझे एक ब्राहा्रण ने सपने में कहा है कि जो नारदजी ने कहा है तु उसे सत्य समझकर जाकर तप कर। यह तप तेरे लिए दुखों का नाश करने वाला है। उसके बाद माता-पिता को बड़ी खुशी से समझाकर पार्वती तप करने गई।



पार्वतीजी ने शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या आरंभ की। लेकिन शिव को सांसारिक बंधनों में कदापि रुचि नहीं थी, इसलिए पार्वतीजी ने अत्यंत कठोर तपस्या की ताकि शिव प्रसन्न होकर उनसे विवाह कर लें।



जब सप्तर्षि सती की परीक्षा लेने गए



सप्तर्षि ने पार्वती से जाकर पूछा तुम किस के लिए इतना कठिन तप कर रही हो। तब पार्वती ने सकुचाते हुए कहा आप लोग मेरी मुर्खता को सुनकर हंसेंगें। मैं शिव को अपना पति बनाना चाहती हूं। पार्वती की बात सुनकर सभी ऋषि हंसने लगे और बोले की तुमने उस नारद का उपदेश सुनकर शिव को अपना पति माना है जो सब कुछ चौपट कर देता है। उनकी बातों पर विश्वास करके तुम ऐसा पति चाहती हो जो स्वभाव से ही उदासीन, गुणहीन निर्लज्ज, बुरे वेषवाला , बिना घर बार वाला , नंगा और शरीर पर नागों को धारण करने वाला है।ऐसे वर के मिलने से कहो तुम्हे क्या सुख मिलेगा।



अब हमारा कहा मानो हमने तुम्हारे लिए बहुत अच्छा वर चुना है। हमने तुम्हारे लिए जो वर चुना है वह लक्ष्मी का स्वामी और वैकुंठपुरी का रहने वाला है। तब पार्वती उनकी बात सुनकर बोली कहा है कि मेरा हठ भी पर्वत के ही समान मजबूत है। मैं अपना यह जन्म शिव के लिए हार चुकी हूं। मेरी तो करोड़ जन्मों तक यही जिद रहेगी। पार्वती की यह बात सुनकर सभी ऋषि बोले आप माया हैं और शिव भगवान है। आप दोनों समस्त जगत के माता-पिता है।



यह कहकर सप्त ऋषि पार्वती से याज्ञा लेकर वहां से चले गए।



पार्वतीजीने द्रढ़ निष्ठा से शिवजी का मन जित लिया।



वर्षो तक तपस्या करने के प्राच्यात एक दिन पार्वतीजी के पास एक ब्रह्मचारी आया। वह ब्रह्मचारी तपस्विनी पार्वती का सत्कार स्वीकार करने से पूर्व बोल उठा - तुम्हारे जैसी सुकुमारी क्या तपस्या के योग्य है? मैंने दीर्घकाल तक तप किया है। चाहो तो मेरा आधा या पूरा तप ले लो, किंतु तुम इतनी कठिन तपस्या मत करो। तुम चाहो तो त्रिभुवन के स्वामी भगवान विष्णु भी.. किंतु पार्वती ने ऐसा उपेक्षा भाव दिखाया कि ब्रह्मचारी दो क्षण को रुक गए।



फिर बोला - योग्य वर में तीन गुण देखे जाते हैं - सौंदर्य, कुलीनता और संपत्ति। इन तीनों में से शिव के पास एक भी नहीं है। नीलकंठ, त्रिलोचन, जटाधारी, विभूति पोते, सांप लपेटे शिव में तुम्हें कहीं सौंदर्य दिखता है? उनकी संपत्ति का तो कहना ही क्या, नग्न रहते हैं। बहुत हुआ तो चर्म(चमड़ा) लपेट लिया। कोई नहीं जानता कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई।



ब्रह्मचारी पता नहीं क्या-क्या कहता रहा, किंतु अपने आराध्य की निंदा पार्वती को अच्छी नहीं लगी। अत: वे अन्यत्र जाने को उठ खड़ी हुईं। तब शिव उनकी निष्ठा देख ब्रह्मचारी रूप त्याग प्रकट हुए और उनसे विवाह किया। जहां दृढ़ लगन, कष्ट सहने का साहस और अटूट आत्मविश्वास हो, वहां लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है।"



कोई टिप्पणी नहीं

Please do not enter any spam link in the comment box.

Blogger द्वारा संचालित.